छत्तीसगढ़राज्यसरगुजा संभाग

मनेंद्रगढ़ दौरे में पूर्व मंत्री अमरजीत भगत का SECL खदान पर सख्त रुख — “ये सिर्फ़ एक मज़दूर की मौत नहीं, सिस्टम की हत्या है”

मनेंद्रगढ़,

रविवार को अपने मनेंद्रगढ़ दौरे के दौरान पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) के चिरमिरी क्षेत्र स्थित R-6 खदान का दौरा किया, जहां शनिवार को कन्वेयर बेल्ट बदलते समय लल्लू प्रसाद नामक श्रमिक की दर्दनाक मौत हो गई थी। पूर्व मंत्री अमरजीत भगत के दौरे ने पूरे घटनाक्रम को केवल एक खदान दुर्घटना के दायरे से बाहर निकालकर एक व्यापक राजनीतिक और मानवाधिकार मुद्दा बना दिया है।

SECL के इस खदान में श्रमिक लल्लू प्रसाद बेल्ट रिप्लेसमेंट के दौरान मशीन की चपेट में आ गए थे। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, घटनास्थल पर न तो उचित सुरक्षा व्यवस्था थी, न ही इमरजेंसी मेडिकल रिस्पॉन्स। लल्लू प्रसाद की मौके पर ही मौत हो गई, और शव दो हिस्सों में बंट चुका था।

पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने सबसे पहले खदान स्थल पर पहुंचकर स्थिति का जायज़ा लिया और वहां मौजूद मज़दूरों से बात की। कई श्रमिकों ने अमरजीत भगत को बताया कि वे लगातार सुरक्षा को लेकर प्रबंधन को अवगत कराते आए हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस बदलाव नहीं हुआ है।

इसके बाद पूर्व मंत्री अमरजीत भगत मृतक श्रमिक लल्लू प्रसाद के घर पहुँचे। उन्होंने परिजनों से मिलकर संवेदना प्रकट की और हर संभव मदद का आश्वासन दिया।

उनकी टिप्पणी तेज़ और स्पष्ट थी —

“यह सिर्फ़ एक एक्सिडेंट नहीं, बल्कि खनन प्रबंधन की आपराधिक लापरवाही है। हम इसे ऐसे ही जाने नहीं देंगे।”

 

पूर्व मंत्री ने प्रेस को दिए बयान में चार प्रमुख मांगें रखीं:

हादसे की उच्चस्तरीय व स्वतंत्र जांच।

SECL के ज़िम्मेदार अधिकारियों पर आपराधिक मुकदमा।

परिवार को मुआवज़ा और एक परिजन को तत्काल रोजगार।

खदानों में सुरक्षा मानकों की नियमित तीसरी-पार्टी ऑडिट

उन्होंने SECL प्रबंधन से यह भी कहा कि अगर एक सप्ताह में ठोस कार्रवाई नहीं होती है तो वे इसे लेकर धरना देंगे।

राजनीतिक दृष्टि से यह दौरा केवल एक सहानुभूति भरा दौरा नहीं था। यह खनन क्षेत्र में व्याप्त व्यवस्था के प्रति एक सीधा राजनीतिक संदेश था — कि अब लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

इस मौके पर पूर्व मंत्री ने एक और तीखा सवाल उठाया:

 

“SECL हर साल हज़ारों करोड़ का मुनाफ़ा कमाती है, लेकिन क्या वो मज़दूरों की जान की गारंटी नहीं दे सकती? ये कौन-सी अर्थव्यवस्था है जो श्रमिकों की लाशों पर टिकी है?”

पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने साफ़ कहा कि वह इस मुद्दे को सरकार के सामने रखेंगे और खनन कंपनियों को जवाबदेह बनाए बिना चैन से नहीं बैठेंगे।

राजनीतिक संकेत क्या हैं?

यह दौरा और उसकी भाषा संकेत देते हैं कि पूर्व मंत्री अमरजीत भगत इस मुद्दे को एक बड़े राजनैतिक अभियान में बदल सकते हैं — श्रमिकों की सुरक्षा, खनन माफिया की जवाबदेही और कॉरपोरेट गवर्नेंस की असलियत को लेकर।

इस दौरे ने SECL प्रबंधन को सीधे कटघरे में खड़ा कर दिया है। अब देखना होगा कि कंपनी अपनी तरफ से क्या सफाई देती है और क्या वाकई कोई कार्रवाई होती है — या फिर यह भी एक और ‘रिपोर्ट बनाकर बंद फाइल’ बनकर रह जाएगा।

Related Articles

Back to top button