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मधुमक्खी पालन: कृषकों के उत्थान का नया अध्याय, मैनपाट में सात दिवसीय प्रशिक्षण का शुभारंभ

मैनपाट (सरगुजा)। कहते हैं जब लगन सच्ची हो और मार्गदर्शन दूरदर्शी, तो समृद्धि के द्वार स्वतः खुलते हैं। इसी उद्देश्य से, राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन के अंतर्गत दिनांक 24 सितंबर 2025 से कृषि विज्ञान केंद्र मैनपाट में सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।

कार्यक्रम रायपुर के कुलपति डॉ. गिरिश चंदेल के मार्गदर्शन तथा निदेशक डॉ. एस.एस. टुटेजा के निर्देशन में आरंभ हुआ। इस अवसर पर राजमोहनी देवी कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, अजीरमा की अधिष्ठाता डॉ. नीलम चौकसे मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं।

कृषि विज्ञान केंद्र, मैनपाट के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, डॉ. राजेश चौकसे ने कहा कि सरगुजा की प्राकृतिक परिस्थितियाँ मधुमक्खी पालन के लिए अत्यंत अनुकूल हैं। यहाँ के किसान मधुमक्खी पालन को अपनाकर न केवल अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं, बल्कि फसलों की पैदावार में 20 से 25 प्रतिशत तक की वृद्धि कर सकते हैं।

सहायक संचालक अनुसंधान, डॉ. के.एल. पैंकरा ने अपने उद्बोधन में बताया कि मधुमक्खी पालन समेकित कृषि प्रणाली का अभिन्न हिस्सा है, जिसे कम लागत में बड़े लाभ के लिए अपनाया जा सकता है।

तकनीकी सत्र में वैज्ञानिक एवं प्रशिक्षण प्रभारी श्री प्रदीप लकड़ा ने मधुमक्खी पालन की शुरुआत करने की विधि पर विस्तार से जानकारी दी, वहीं विशेषज्ञ डॉ. सचिन जायसवाल ने मधुमक्खियों की प्रजातियों और उनके संगठन पर प्रकाश डाला।

इस प्रशिक्षण में सीतापुर ब्लॉक से चयनित 25 किसानों (महिला एवं पुरुष) ने भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम सहायक डॉ. शमशेर आलम ने सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर केवीके के प्रक्षेत्र प्रबंधक डॉ. एस.सी. पंकज, विभागीय अधिकारी-कर्मचारी एवं केवीके का स्टाफ भी उपस्थित रहा।

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