मैनपाट:- नवरात्र पर शिक्षा की सौगात — प्रशासन ने कोरवा बच्चों को दिलाया नया भविष्य
मैनपाट में पहाड़ी कोरवा बच्चों का आश्रम प्रवेश शिक्षा की ओर प्रशासन की संवेदनशील पहल

मैनपाट_छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के मैनपाट क्षेत्र में शिक्षा से वंचित पहाड़ी कोरवा परिवारों के बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने का सराहनीय प्रयास किया गया है। जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग की पहल पर 9 बच्चों को आश्रम विद्यालय व प्राथमिक शालाओं में प्रवेश दिलाया गया।
दो दिन पूर्व कोरवापारा भ्रमण के दौरान जिला कलेक्टर विलास भोसकर संदीपन ने कुछ बच्चों को विद्यालय से बाहर घूमते देखा। जानकारी लेने पर पता चला कि ये बच्चे अभी तक किसी भी विद्यालय में नामांकित नहीं हैं। कलेक्टर ने तुरंत संज्ञान लेते हुए जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. दिनेश कुमार झा को आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
दुर्गम बस्तियों में सर्वे
डीईओ के निर्देशन में संकुल समन्वयक व शिक्षकों की टीम ने लगातार दो दिनों तक दुर्गम पहाड़ी रास्तों से गुजरते हुए सारुजोबा, घोराघाट, जाम पहाड़, कोरवापारा और भोसड़ी बोदार जैसे गांवों में सर्वे किया। इस दौरान रजखेता पंचायत अंतर्गत 9 अप्रवेशी बच्चों को चिन्हांकित किया गया।
बच्चों का प्रवेश
इनमें से 6 बच्चियों को पहाड़ी कोरवा आश्रम बरिमा, 2 बच्चियों को प्रा.शा. कोरवापारा, तथा 1 छात्र को पहाड़ी कोरवा आश्रम रजखेता में प्रवेश दिलाया गया। अब ये बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ आश्रम में रहने-खाने व अन्य मूलभूत सुविधाओं का लाभ भी पाएंगे।
परिवारों की झिझक और समझाइश
पहाड़ी कोरवा परिवार शुरू में बच्चों को आश्रम भेजने से झिझक रहे थे। दूर-दराज और हाथी प्रभावित क्षेत्र होने के कारण उनकी चिंता स्वाभाविक थी। किंतु शिक्षकों ने धैर्यपूर्वक समझाइश देकर उन्हें आश्वस्त किया कि शिक्षा से बच्चों का भविष्य संवर सकता है।
प्रशासन का संवेदनशील दृष्टिकोण
कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी की संवेदनशील पहल तथा शिक्षकों की मेहनत रंग लाई। अब तक शिक्षा से वंचित रहे ये बच्चे विद्यालय की कक्षाओं में शामिल होकर नई शुरुआत करेंगे।
परिवारों की प्रतिक्रिया
दाखिले के बाद कोरवा परिवारों ने प्रशासन और शिक्षा विभाग का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह कदम उनके बच्चों के जीवन में नई रोशनी लेकर आया है।
जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. दिनेश कुमार झा ने इस कार्य में लगे सभी शिक्षकों और संकुल समन्वयकों की सराहना करते हुए कहा—
“दुर्गम इलाकों में जाकर बच्चों को ढूँढना और परिवारों को शिक्षा के महत्व के लिए तैयार करना आसान नहीं था। लेकिन शिक्षकों ने समर्पण और धैर्य के साथ यह कार्य किया। उनकी मेहनत का ही परिणाम है कि 9 बच्चे शिक्षा की मुख्यधारा से जुड़ पाए हैं।”
नवरात्रि का शुभ संयोग
नवरात्र के पावन अवसर पर 8 बालिकाओं और 1 बालक को विद्यालय में प्रवेश दिलाकर प्रशासन ने वास्तव में शिक्षा को नई दिशा दी है। यह पहल आने वाले समय में अन्य बस्तियों के लिए भी प्रेरणा बनेगी।