
दुर्ग_शिक्षक दिवस के अवसर पर दिल्ली में आयोजित एक भव्य समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान प्राप्त करने वाली शिक्षिका डॉ. प्रज्ञा सिंह आज जब दुर्ग लौटीं, तो उनका भव्य स्वागत किया गया। एयरपोर्ट से लेकर उनके घर तक जगह-जगह स्वागत की तैयारियां की गई थीं। परिवार, समाज, स्कूल स्टाफ और तमाम चाहने वालों ने उनका जोरदार स्वागत करते हुए इस ऐतिहासिक उपलब्धि का जश्न मनाया।
डॉ. प्रज्ञा सिंह को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार उनके अभिनव और अनूठे शिक्षण पद्धति के लिए प्रदान किया गया है। उन्होंने बच्चों के लिए गणित जैसे कठिन विषय को खेल-खेल में आसान और रोचक बनाने का तरीका विकसित किया, जिसने उन्हें इस राष्ट्रीय सम्मान तक पहुंचाया। देशभर के 45 शिक्षकों में से डॉ. प्रज्ञा सिंह का चयन होना न केवल उनके लिए, बल्कि छत्तीसगढ़ और दुर्ग के लिए भी गर्व की बात है।दुर्ग पहुंचते ही उनका भव्य स्वागत किया गया। एयरपोर्ट पर परिजनों और चाहने वालों ने फूलमालाओं से उनका अभिनंदन किया। रास्ते में कई जगहों पर स्वागत द्वार बनाए गए थे और जैसे ही डॉ. सिंह का काफिला वहां से गुजरा, लोग तालियों की गड़गड़ाहट, पटाखों और फूलों की बारिश से उनका स्वागत करते रहे। घर पहुंचने पर भी परिजनों, मित्रों और स्कूल स्टाफ ने मिठाई खिलाकर और फूलमालाएं पहनाकर उन्हें सम्मानित किया।डॉ. प्रज्ञा सिंह ने अपनी सफलता पर कहा की एयरपोर्ट से लेकर घर तक जो भव्य स्वागत हुआ, उससे मैं बहुत भावुक हूं। बच्चों के लिए लगातार मेहनत कर रही थी, लेकिन कभी भी इस सम्मान की उम्मीद नहीं थी। मैं सम्मान के लिए कार्य नहीं करती, बल्कि बच्चों की शिक्षा को सरल और प्रभावी बनाने का प्रयास करती हूं। शिक्षकों को हमेशा नई-नई विधियों पर काम करना चाहिए। निरंतर प्रयास से ही यह मुकाम हासिल किया जा सकता है।भविष्य की योजनाओं पर बात करते हुए उन्होंने कहा की अभी तक मैं केवल छत्तीसगढ़ के बच्चों के लिए काम कर रही थी, लेकिन अब मेरा उद्देश्य पूरे देश के बच्चों के लिए कुछ बेहतर करना है। प्रधानमंत्री ने हमें यह टास्क दिया है कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है, और यह कार्य बच्चों से ही शुरू होगा। हमें प्रत्येक बच्चे को इतना कुशल बनाना होगा कि वह अपने जीवन का लक्ष्य आसानी से प्राप्त कर सके।